नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। झारखंड के चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें 26 जून को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। हालांकि, राहुल गांधी के वकील ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दायर कर पेशी से छूट की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया और उन्हें अदालत में पेश होने को कहा। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
क्या है पूरा मामला ?
आपको बता दें कि यह मामला 5 साल पुराना है। मार्च 2018 में राहुल गांधी ने कांग्रेस के अधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ एक भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने भाजपा को लेकर कुछ ऐसे शब्द कहे, जो भाजपा नेता प्रताप कुमार को आपत्तिजनक लगे। प्रताप कुमार ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस चाईबासा सीजेएम कोर्ट में दायर किया था, जो 9 जुलाई 2018 को दर्ज किया गया था। इसके बाद से यह मामला कोर्ट में लंबित था, और झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर इसे 20 फरवरी 2020 को रांची स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए भेजा गया था, और फिर इसे चाईबासा स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। अदालत ने राहुल गांधी को समन भेजा था, लेकिन वे कोर्ट में पेश नहीं हुए।
कोर्ट का फैसला
हालांकि राहुल गांधी को जमानतीय वारंट जारी किया गया था, वे फिर भी अदालत में पेश नहीं हुए। इसके बाद उनके वकील ने झारखंड हाईकोर्ट में वारंट रोकने के लिए एक अर्जी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है और उन्हें 26 जून को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी अभी तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिए हैं, लेकिन उनका यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। यह देखा जाएगा कि क्या वे आगामी 26 जून को कोर्ट में पेश होते हैं या फिर कोई और कानूनी कदम उठाते हैं। राहुल गांधी के खिलाफ इस गैर-जमानती वारंट से उनके लिए कानूनी रूप से नई चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं। हालांकि, यह मामला अब राजनीतिक चर्चाओं का हिस्सा बन चुका है, और इसका असर आगामी चुनावों में भी पड़ सकता है।