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भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील साइन: 63,000 करोड़ रुपए में मिलेंगे 26 राफेल मरीन

The Punjab Plus
Last updated: 2025/04/28 at 3:32 PM
The Punjab Plus
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5 Min Read
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नई दिल्ली (द पंजाब प्लस)  भारत, फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन विमानों की डील सोमवार को नई दिल्ली साइन हो गई। भारत की तरफ से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने डील पर साइन किए। डील के तहत भारत, फ्रांस से 22 सिंगल सीटर विमान और 4 डबल सीटर विमान खरीदेगा।

ये विमान परमाणु बम दागने की क्षमता से लैस होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस के साथ ये डील करीब 63,000 करोड़ रुपए में हो रही है। हथियारों की खरीद के मामले में यह फ्रांस के साथ भारत की अब तक की सबसे बड़ी डील है।

विमानों की खरीद को 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में मंजूरी मिली थी। यह मीटिंग पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बुलाई गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इन विमानों की डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक सभी विमान भारत पहुंच जाएंगे।

फ्रांस से 36 राफेल खरीद चुका भारत

राफेल मरीन से पहले भारत फ्रांस से एयरफोर्स के लिए 36 राफेल जेट भी खरीद चुका है। 2016 में हुई इस डील के सभी विमान 2022 में भारत पहुंचे थे। इन्हें एयरफोर्स के अंबाला और हाशिनारा एयरबेस से संचालित किया जाता है। ये डील 58,000 करोड़ रुपए में हुई थी। राफेल मरीन विमान के फीचर्स एयरफोर्स के राफेल विमान से एडवांस हैं।

राफेल-एम कितना ताकतवर, नौसेना के लिए क्यों जरूरी?

कैसा है राफेल-एम का डिजाइन? राफेल-एम (मरीन) का उपयोग नौसेना के विमान वाहक पोत में होगा। 50.1 फीट लंबे राफेल-एम का वजन 15 हजार किलो तक है। फ्यूल कैपिसिटी भी 11,202 किग्रा है, जिससे यह ज्यादा देर तक उड़ सकता है। यह सिंगल और डबल सीटर विमान 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इस विमान के फोल्डिंग विंग्स भी काफी मजबूत हैं। रफ्तार 2205 किमी प्रतिघंटा है।

क्या है राफेल-एम की खासियत? राफेल-एम सिर्फ एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। यह पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के जे-20 से ज्यादा बेहतर है। यह उड़ान भरने के बाद 3700 किमी दूर तक हमला करने में सक्षम है। इसमें 30 एमएम की ऑटो कैनन गन और 14 हार्ड प्वाइंट्स हैं। यह बहुत कम जगह पर भी ‘लैंड’ कर सकता है।

किस तरह की मिसाइलें लैस होंगी? राफेल-एम में शक्तिशाली एंटी शिप मिसाइलें लगाई जा सकती हैं, जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम हैं। यह विमान पनडुब्बियां खोजकर ध्वस्त करने वाले विशेष रडार से लैस होता है। खास बात यह है कि राफेल-एम में बीच हवा में ही रीफ्यूलिंग की जा सकती है। इससे इसकी रेंज और बढ़ जाएगी। इसकी पहली खेप 3 साल बाद मिलनी शुरू होगी।

नौसेना को कैसे ताकतवर बनाएगा राफेल एम? नौसेना के पास दो विमान वाहक पोत INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत हैं। इन पर अभी पुराने मिग 29के फाइटर जेट तैनात हैं। ऐसे में मॉडर्न राफेल-एम की तैनाती हो जाएगी, तो समंदर में भारत की ताकत और बढ़ जाएगी। राफेल-एम फाइटर जेट से नभ, थल और जल में नौसेना की पकड़ और मजबूत होगी।

राफेल मरीन क्यों खरीद रहा भारत

  • अभी भारतीय वायु सेना के पास मिग-29 विमान हैं। ये विमान INS विक्रमादित्य पर तैनात रहते हैं। बीते समय में इनके रखरखाव की मांग बढ़ने और सीमित उपलब्धता के चलते भारत राफेल मरीन विमान खरीद रहा है।
  • नौसेना ने 2022 में कहा था कि विक्रांत को मिग-29 के लिहाज से डिजाइन किया गया था, लेकिन वह इसकी जगह बेहतर डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन की तलाश कर रही है।
  • राफेल मरीन की एडवांस रडार टेक्नोलॉजी, ज्यादा हथियार ले जाने की क्षमता, बेहतर सेंसर इसे मिग-29 विमान से बेहतर बनाते हैं।
  • भारत की वायुसेना के पास पहले से ही राफेल विमान हैं। ऐसे में इसके उपकरणों और रखरखाव के लिए ट्रेनिंग में ज्यादा समस्या नहीं आएगी।
  • भारतीय नौसेना ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 57 फाइटर जेट लेने की योजना बनाई थी। इसके लिए गोवा में फ्रांस के राफेल मरीन और अमेरिका के बोइंग-18 का ट्रायल भी हुआ। 2022 में भारत ने अमेरिका और फ्रांस से अपने प्रपोजल की समय-सीमा बढ़ाने की मांग की थी। सिर्फ फ्रांस इसके लिए तैयार हुआ, जिसके बाद भारत के पास राफेल मरीन खरीदने का ही विकल्प बचा।
The Punjab Plus 28 April 2025 28 April 2025
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