चंडीगड़ (द पंजाब प्लस) गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का जेल में इंटरव्यू करवाने के मामले में चल रही जांच में नया मोड़ आ गया है। इसमें पंजाब पुलिस के 7 मुलाजिमों का पॉलीग्राफ (Lie Detector) टेस्ट कराया जाएगा। इसके लिए मोहाली की एक कोर्ट ने परमिशन दे दी है। पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति ADGP एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स निलभ किशोर ने सरकारी वकील के साथ मिलकर कोर्ट से मांगी थी।
पॉलीग्राफ टेस्ट को झूठ डिटेक्टर टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। एक उपकरण है जो व्यक्ति के शारीरिक प्रतिक्रियांओं को मापता है जब उनसे सवाल पूछे जाते हैं, यह हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, श्वसन और त्वचा की चालकता जैसे संकेतकों को रिकॉर्ड करता है, जो कथित तौर पर झूठ बोलने पर बदल जाते हैं। इसका उपयोग आमतौर पर अपराधों की जांच के लिए किया जाता है
जांच एजेंसियों ने कोर्ट को बताया कि सभी संबंधित मुलाजिमों के बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं। वैज्ञानिक जांच के तहत पॉलीग्राफ टेस्ट केवल तभी हो सकता है जब संबंधित व्यक्ति सहमति दें। ऐसे में इनमें से छह पुलिस मुलाजिमों ने अपनी स्वैच्छिक सहमति दे दी है। उनकी सहमति के आधार पर कोर्ट ने जांच अधिकारी को नियमानुसार पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति दे दी है।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियों को संदेह है कि जेल के अंदर हुआ इंटरव्यू सुरक्षा व्यवस्था में अंदरूनी मिलीभगत के बिना संभव नहीं था। ऐसे में यह पॉलीग्राफ टेस्ट यह पता लगाने के लिए कराया जाएगा कि जेल स्टाफ या पुलिस मुलाजिमों में से किसी ने लॉरेंस बिश्नोई को मीडिया तक पहुंचाने में कोई मदद तो नहीं की।