नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) इलेक्शन कमीशन ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ 48 विधानसभा और 2 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया।
महाराष्ट्र में सिंगल फेज में 20 नवंबर को और झारखंड में 2 फेज में चुनाव होंगे। पहले फेज में 13 नवंबर को और दूसरे फेज में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। रिजल्ट 23 नवंबर को आएंगे।
48 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव भी 2 फेज में होगा। 47 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर वोटिंग 13 नवंबर को की जाएगी। एक विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा। नतीजे भी 23 नवंबर को आएंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को, वहीं झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है।
महाराष्ट्र में महायुति यानी शिवसेना, भाजपा और NCP अजित पवार गुट की सरकार है। एंटी इनकम्बेंसी और 6 बड़ी पार्टियों के बीच बंटने वाले वोट को साधना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
2024 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिलीं।। इनमें BJP को 9, शिवसेना को 7 और NCP को सिर्फ 1 सीट मिली। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 लोकसभा चुनाव से NDA को 41 सीटें मिली थीं। 2014 में यह आंकड़ा 42 था। यानी आधे से भी कम।
2024 लोकसभा चुनाव के हिसाब से भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमट जाएगी। विपक्षी गठबंधन के एक सर्वे में राज्य की 288 सीटों पर MVA यानी महाविकास अघाड़ी को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और NCP में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिम्पैथी है।
झारखंड में महागठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली सरकार है। इसमें कांग्रेस, राजद और वाम दल शामिल हैं। भाजपा को झारखंड में सरकार बनाने के लिए संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल की 32 सीटों पर फोकस करना होगा।
संथाल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से सिर्फ तीन सीटें अभी भाजपा के पास हैं। पिछले चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया। जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हार का सामना करना पड़ा।
जनवरी में भ्रष्टाचार के मामले में CM पद से इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा। हालांकि, जमानत मिलने के बाद वे बाहर आए और चंपई सोरेन से 156 दिन में CM का पद वापस ले लिया। इसके बाद चंपई भाजपा में शामिल हो गए। झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथी रहे चंपई को कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है।