नई दिल्ली (द पंजाब प्लस) दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया है।
Supreme Court grants interim bail to Delhi Chief Minister and AAP National Convener Arvind Kejriwal in the Delhi excise policy case.
The Apex Court refers his petition challenging his arrest by the Enforcement Directorate (ED) to a larger bench. pic.twitter.com/9s40JBWJhV
— ANI (@ANI) July 12, 2024
सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाया है। याचिका में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ आज फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया था कि हवाला चैनलों के जरिए आम आदमी पार्टी (AAP) को पैसे भेजे जाने के सबूत हैं।
राजू ने कहा था कि ईडी ने मामले में अपराध की कथित आय के बारे में केजरीवाल और हवाला ऑपरेटरों के बीच चैट भी खोजी है। केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का बचाव करने के लिए ईडी द्वारा अब जिस सामग्री का हवाला दिया जा रहा है, वह उनकी गिरफ्तारी के दौरान मौजूद नहीं थी। 10 मई को शीर्ष अदालत ने उन्हें दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी थी, हालांकि, आदेश दिया था कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे। पीठ ने केजरीवाल को 2 जून को आत्मसमर्पण करने को कहा था। उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया था।
शीर्ष अदालत का फैसला केजरीवाल की उस अपील पर आया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें आबकारी नीति मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
केजरीवाल ने शीर्ष अदालत में अपील दायर करते हुए तर्क दिया था कि आम चुनावों की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी “बाहरी विचारों से प्रेरित” थी।
9 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने जेल से रिहाई की उनकी याचिका खारिज कर दी थी और आसन्न लोकसभा चुनावों के बीच राजनीतिक प्रतिशोध की उनकी दलील को खारिज कर दिया था।